सर्वाइवल इंस्टिंक्ट: जानवरों में स्वाभाविक रूप से पायी जाने वाली सुरक्षा तंत्र
इस ब्लॉग में हम जानवरों और मानव स्वाभाविक सुरक्षा तंत्र की बात करेंगे, कैसे ये हमें हमारी चुनौतियों से निपटने में मदद करते हैं।
जानवरों का स्वाभाविक सुरक्षा तंत्र
बचपन में, मुझे अपने घर के पास एक छोटे से तालाब में मेंढकों के परिवार को देखना बहुत पसंद था। मैं घंटों उन छोटी-छोटी हरकतों को देखता रहता था। वो मेंढक किस तरह की सावधानी बरतते थे, इससे मैं बहुत प्रभावित था। जैसे ही कोई परछाई उनके ऊपर पड़ती, वो तुरंत पानी में छलांग लगा देते थे। ये एक छोटे से जीव का सरल लेकिन प्रभावी सर्वाइवल इंस्टिंक्ट था।
व्यक्तित्व और परजीविता
हर जानवर में ही नहीं, बल्कि हम इंसानों में भी सर्वाइवल इंस्टिंक्ट पाया जाता है। कभी-कभी हम इसे समझ नहीं पाते, लेकिन यह हमारी हरकतों और निर्णयों में गहराई से निहित होता है। क्या हमने कभी सोचा है कि किसी अजनबी जगह पर पहुंचने पर हमें कैसा लगता है? डर, सतर्कता और कई बार उत्तेजना-यह सब हमारे स्वाभाविक रक्षा तंत्र का ही भाग हैं।
सर्वाइवल की कला
हम सभ्यता की चका-चौंध में खो सकते हैं, लेकिन यह कला यह हमें हमेशा संभालती है। जबकि जानवर अपने नंगे दृश्य-श्रव्य इंद्रियों से सतर्क रहते हैं, हम मनुष्य अपनी बुद्धि और तर्क से संचालित होते हैं। उदाहरण के लिए, हम एक अजनबी में सबसे पहली नज़र में क्या देखते हैं? उसकी आंखें, उसकी चाल, उसकी आवाज़-अनजाने में हम उसका मूल्यांकन कर रहे होते हैं। उसी तरह, जब कोई पक्षी आसमान में उड़ते समय अपने शिकार से बचने की कोशिश करता है, तो यह भी एक स्वाभाविक सुरक्षा तंत्र ही है।
प्रकृति में अद्भुत संतुलन
प्रकृति ने हर जीव में यह क्षमता दी है कि वह अपने अस्तित्व की रक्षा कर सके। चाहे वह गिलहरी हो, जो पेड़ से गिरने पर अपनी पूंछ की मदद से खुद को संतुलित रखती है, या फिर एक शेर, जो अपने समूह के साथ मिलकर शिकार करता है। हर जीव में यह क्षमता निहित है।
मुझे याद है कि कैसे ‘गिल्लू’ कहानी में एक अनाथ गिलहरू के बचाने की अद्भुत कहानी पढ़ने का मौका मिला था। यह कहानी पर पढ़ी जा सकती है। गिल्लू की स्वाभाविक सुरक्षा तंत्र ने उसे कैसे जीवन दिया, यह शुद्ध और प्रेरणादायक कहानी है।
अंत में
जीवन में कुछ भी हो, हमें गौर करना चाहिए कि हम सभी में एक स्वाभाविक रक्षा तंत्र है। यह हमें हमारी चुनौतियों से निपटने में मदद करता है, चाहे वह कितनी भी बड़ी हो। चाहे किसी का जागरूक होना हो, या किसी जानवर का सजग रहना, प्रकृति ने हमें सुंदरता से सुसज्जित किया है। हमें केवल इसे पहचानना और इसे सराहना है।